Intezaar Shayari in Hindi – इंतजार, मोहब्बत का एक ऐसा हिस्सा है जो भावनाओं का गहराईयों में छुपा होता है। इसका सफर कभी सुखद होता है और कभी दुखद, पर यह हमें एक दुसरे तरीके से जीने का साहस देता है। इंतजार शायरी का साहित्यिक रूप, हमें उस बेहद आत्मिक अनुभव के साथ मिलाता है जिसे कभी किसी से मिलने की उम्मीद के साथ, और कभी उसके बिना ही जीने का सामर्थ्य के साथ निभाना पड़ता है। यहां कुछ इंतजार शायरी के उदाहरण हैं जो इस अद्भुत अनुभव को साझा करते हैं:
Intezaar Shayari in Hindi
हर वक्त तेरा इंतजार रहता है,
तेरे लिए सनम हम बेकरार रहते हैं,
मुझे पता है तू नहीं किस्मत में मेरी,
फिर भी ना जाने क्यों तेरा इंतजार रहता है !
वो न आएगा हमें मालूम था,
कुछ सोच कर इंतजार करते रहे !
किसी रोज होगी रोशन मेरी भी जिंदगी,
इंतजार सुबह का नहीं तेरे लौट आने का है।
किसी रोज होगी रोशन मेरी भी जिंदगी,
इंतजार सुबह का नहीं तेरे लौट आने का है !
मैं आज भी तेरा इन्तजार कर रहा हूँ,
बस एक बार लौट आओ मेरे पास !
संभव ना हो तो साफ मना कर दें,
पर किसी को अपने लिए इंतजार ना करवाएं !
पल भर का प्यार और बरसों का इंतज़ार,
जैसे कोई अपना ही अपने घर को लूट रहा है !
फरियाद कर रही है यह तरसी हुई निगाह,
देखे हुए किसी को ज़माना गुजर गया !
वो न आयेगा हमें मालूम था,
मगर कुछ सोच कर करते रहे इंतज़ार उसका !
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियों की अब आदत हो गयी है !
आंखों का इंतज़ार तुम पर आकर ही तो खत्म होता है,
फिर चाहे वो हकीकत हो या ख्वाब !
झुकी हुई पलकों से उनका दीदार किया,
सब कुछ भुला के उनका इंतजार किया
वो जान ही न पाए जज्बात मेरे,
मैंने सबसे ज्यादा जिन्हें प्यार किया !
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूँढता है खामोशी से तुझे !
मुझको अब तुझ से मोहब्बत नहीं रही,
ऐ ज़िन्दगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही,
बुझ गये अब उसके इंतज़ार के वो दीये,
कहीं आस-पास भी उस की आहट नहीं रही।
उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का,
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का !
एक मुलाकात की आस में मैं ज़िंदगी गुजार लूंगा,
तुम हां तो कहो तुम्हारे लिए उम्र भर इंतज़ार करूंगा !
इंतज़ार उनके आने का खत्म न हुआ,
हम हर एक आहत में उनको ही ढूंढते हैं !
जिसका इंतज़ार शिद्दत से करोगे,
वही अक्सर नहीं आते !
वो तारों की तरह रात भर चमकते रहे,
हम चाँद से तन्हा सफ़र करते रहे,
वो तो बीते वक़्त थे उन्हें आना न था,
हम यूँ ही सारी रात करवट बदलते रहे।
उसके ना की उम्मीद तो नहीं,
फिर भी उसका इंतज़ार किये जा रहे हैं !
दो तरह के आशिक होते हैं,
एक हासिल करने वाले और दूसरे इंतज़ार करने वाले !
हालात कह रहे है की अब मुलाक़ात नहीं होगी,
उम्मीद कह रही है जरा इन्तेज़ार कर ले !!
मिलने का मज़ा अक्सर !
इंतज़ार के बाद ही आता है !!
कभी कभी एक दिन का इंतजार,
सालों जैसा लगता है !!
दो तरह के आशिक होते है,
एक हासिल करने वाले
और दूसरे इंतज़ार करने वाले।
मिलने का मज़ा अक्सर इंतज़ार के बाद ही आता है।
उसके ना की उम्मीद तो नहीं,
फिर भी उसका इंतज़ार किये जा रहे है।
जिसका इंतज़ार शिद्दत से करोगे,
वही अक्सर नहीं आते।
खूबसूरत का पता नहीं,
लेकिन मज़ा बहुत आता है,
प्यार में भी और इंतज़ार में भी।
आहिस्ता आहिस्ता धड़कन बढ़ने लगती है,
जब इंतज़ार की घड़ी कम होने लगती है।
हर इंतज़ार का अहसास बहुत ही खूबसूरत होता है !!
तुम्हारी एक झलक देखने के लिए,
हम चाँद से बातें सारी रात करते रहे।
आप हमसे मिलने नहीं आई,
हम आपका इंतज़ार सारी रात करते रहे।
इंतज़ार उनके आने का खत्म ना हुआ,
हम हर एक आहत में उनको ही ढूंढते है।
क्या खूब ये सुरूर तेरा है मुझ पर,
तुमसे मिल कर फिर तुमसे मिलने का इंतज़ार रहता है।
सही समय के इंतज़ार में रहती है,
फिर भी जाने क्यों ये किसी और को ढूंढती रहती है।
जीवन भर लोग जिस चीज का इंतज़ार करते है, वह चीज ही मौत है।
स्वयं लाखों लोगों से मिलें, पर कभी किसी के इंतज़ार में समय ना गवाएं।
ज़िंदगी तो मौत के इंतज़ार में रहती है,
फिर भी जाने क्यों ये किसी और को ढूंढती है।
अभी अपने आप से नाखुश हूँ,
तभी तो अपने आने वाले अपने आप के इंतज़ार में हूँ।
इंतज़ार किसका रहता है इन आँखों को,
जो रात के अँधेरे और दिन के उजाले में भी ढूंढ नहीं पाते है।
इंतज़ार दरअसल हमें सुकून का था,
लोगों को लगता रहा मैं किसी खास के इंतज़ार में हूँ।
कभी कभी अगर इंतज़ार की बेचैनी समझ ना आये,
तो आईने के सामने आकर अपनी बेचैनी दूर कर लिया कीजिए।
कोई आपका इंतज़ार करें
और आप किसी का इंतज़ार करें।
दोनों ही हाल में वक्त थम सा जाता है।
संभव ना हो तो साफ मना कर दें,
पर किसी को अपने लिए इंतज़ार ना कराएं।
बेचैनी प्यार से ज्यादा किसी के इंतज़ार में होती है।
कोई आपको अपने से भी ज़्यादा तब अपना लगने लगता है,
जब उस से मिल कर भी आपका इंतज़ार खत्म नहीं होता।
इंतज़ार में समय की गति नज़रिये पर निर्भर करती है –
अच्छा हो तो तेज और बुरा हो तो धीमे।
इंतज़ार करने में अक्सर लोग नफरत ही करते है।
इंतज़ार की गति आपकी किसी चीज को चाहने की तीव्रता पर निर्भर करती है।
तुझे ना हासिल कर के भी ये सुकून तो रहा,
कम से कम तेरे इंतज़ार में समय तो नहीं गवायाँ।
अब और कितना इंतज़ार कराओगी ऐ ज़िंदगी,
मिलो और बातें चार कर कुछ मुद्दे ही सुलझा लो।
हर कोई पूछता है हमसे करते क्या हो,
और हम कहते है, इंतज़ार सही वक्त का।
किसी के इंतज़ार में वक्त ज़ाया ना करें,
या तो इश्क़ करें, या तो अपने काम से इश्क़ करें।
हमलोग तो बस इंतज़ार ही कर सकते,
उनका दीदार करना तो हमारे नसीब में ही नहीं है।
तुम मिलो ना मिलो मैं इंतज़ार करता रहूँगा, तुम्हारे आने की।
अब ये दिन मुझे पहाड़ जैसे लगते है,
उसके बिना ये कटते ही नहीं है।
जानता हूँ कि वो आएंगे नहीं,
लेकिन उनका इंतज़ार करना मुझे मसरूफ रखता है।
मुझे इंतज़ार था तेरे हर इकरार का पर वो इंतज़ार इंतज़ार रह गया।
फरियाद कर रही है यह तरसी हुई निगाह,
देखे हुए किसी को ज़माना गुजर गया।
ये कह-कह के हम दिल को समझा रहे हैं,
वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं।
वो तारों की तरह रात भर चमकते रहे,
हम चाँद से तन्हा सफ़र करते रहे,
वो तो बीते वक़्त थे उन्हें आना न था,
हम यूँ ही सारी रात करवट बदलते रहे।
झुकी हुई पलकों से उनका दीदार किया,
सब कुछ भुला के उनका इंतजार किया,
वो जान ही न पाए जज्बात मेरे,
जिन्हें दुनिया से बढ़कर मैंने प्यार किया।
तेरे इंतजार में कब से उदास बैठे हैं,
तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे हैं,
तू एक नजर हम को देख ले बस,
इस आस में कब से बेकरार बैठे हैं।
उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का,
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का।
एक लम्हे के लिए मेरी नजरों के सामने आजा,
एक मुद्दत से मैंने खुद को आईने में नहीं देखा।
फिर मुक़द्दर की लकीरों में लिख दिया इंतज़ार,
फिर वही रात का आलम और मैं तन्हा-तन्हा।
मुझको अब तुझ से मोहब्बत नहीं रही,
ऐ ज़िन्दगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही,
बुझ गये अब उसके इंतज़ार के वो दीये,
कहीं आस-पास भी उस की आहट नहीं रही।
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यूँ है,
इन्कार करने पर चाहत का इकरार क्यूँ है,
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद,
फिर भी हर मोड़ पर उसका इंतजार क्यूँ है।
ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी,
किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी।
कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है एक रात के लिये।
ये इंतज़ार सहर का था या तुम्हारा था,
दिया जलाया भी मैंने दिया बुझाया भी।
वस्ल का दिन और इतना मुख्तसर,
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिए।
ये आँखे कुछ तलाशती रहती हैं,
कोई तो है जिसका इन्हें इंतजार है।
राह चलते तू औरों का दामन थाम ले,
मगर मेरे प्यार को भी तू थोड़ा पहचान ले,
कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में मैंने,
जरा इस दिल की बेताबी को भी तू जान ले।
कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं देखा,
तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा,
ये सोच कर कि तुम्हारा इंतजार लाजिम है,
तमाम उम्र घड़ी की तरफ नहीं देखा।
जान देने का कहा मैंने तो हँसकर बोले,
तुम सलामत रहो हर रोज के मरने वाले,
आखिरी वक़्त भी पूरा न किया वादा-ए-वस्ल,
आप आते ही रहे मर गये मरने वाले।
खुद हैरान हूँ मैं
अपने सब्र का पैमाना देख कर,
तूने याद भी ना किया
और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा।
तुम्हें तो इल्म है
मेरे दिल-ए-वहशी के ज़ख़्मों को,
तुम्हारा वस्ल मरहम है
कभी मिलने चले आओ।
दिन रात की बेचैनी है
ये आठ पहर का रोना है,
आसार बुरे हैं फुरकत में
मालूम नहीं क्या होना है।
उठा कर चूम ली हैं
चंद मुरझाई हुई कलियाँ,
तुम न आये तो यूँ
जश्न-ए-बहारां कर लिया मैंने।
इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा,
यादें कटती हैं ले ले कर नाम तेरा,
मुद्दत से बैठे हैं यह आस पाले,
कि कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा।
तू याद करे न करे तेरी ख़ुशी,
हम तो तुझे याद करते रहते हैं,
तुझे देखने को दिल तरसता रहता है,
और हम तेरा इंतज़ार करते रहते हैं।
इक मैं कि इंतज़ार में घड़ियाँ गिना करूँ,
इक तुम कि मुझसे आँख चुराकर चले गये।
उसे भुला दे मगर इंतज़ार बाकी रख,
हिसाब साफ न कर कुछ हिसाब बाकी रख।
ऐसी ही इंतज़ार में लज़्ज़त अगर न हो,
तो दो घड़ी की फ़िराक़ में अपनी बसर न हो।
हमने तो उस शहर में भी किया इंतज़ार तेरा,
जहाँ मोहब्बत का कोई रिवाज़ न था।
आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
आँखों ने जर्रे-जर्रे पर सजदे लुटाये हैं,
न जाने जा छुपा मेरा पर्दानशीं कहाँ।
पलकों पर रूका है समन्दर खुमार का,
कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का।
देखा न होगा तू ने मगर इंतज़ार में,
चलते हुए वक़्त को ठहरते हुए भी देख।
रात भर जागते रहने का सिला है शायद,
तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है।
उसी तरह से हर एक ज़ख्म खुशनुमा देखे,
वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे,
गुजर गए हैं बहुत दिन रफाकत-ए-शब में,
एक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे।
झोंका इधर से न आये नसीम-ए-बहार का,
नाजुक बहुत है फूल चराग-ए-मज़ार का,
फिर बैठे-बैठे वादा-ए-वस्ल उसने कर दिया,
फिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतज़ार का।
मुझे हर पल तेरा इंतज़ार रहता है,
हर लम्हा मुझे तेरा एहसास रहता है,
तुझ बिन धडकनें रुक सी जाती हैं,
कि तू दिल में धड़कन बनके रहता है।
तड़प के देख किसी की चाहत में,
तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है,
यूँ मिल जाए अगर कोई बिना तड़प के,
कैसे पता चले कि प्यार क्या होता है?
एक आरज़ू है पूरी अगर परवरदिगार करे,
मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे।
उठ-उठ के किसी का इंतज़ार करके देखना,
कभी तुम भी किसी से प्यार करके देखना।
रक़्स-ए-सबा के जश्न में हम तुम भी नाचते,
ऐ काश तुम भी आ गए होते सबा के साथ।
कासिद पयामे-शौक को देना बहुत न तूल,
कहना फ़क़त ये उनसे कि आँखें तरस गयीं।
इंतज़ारे-फस्ले-गुल में खो चुके आँखों के नूर,
और बहारे-बाग लेती ही नहीं आने का नाम।
आदतन तुमने कर दिये वादे,
आदतन हमने भी ऐतबार किया,
तेरी राहों में हर बार रुककर,
हमने अपना ही इंतजार किया।
कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए,
हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए,
आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर,
बुझ रही है आग जिसे वो जला कर चले गए।
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।
किसी रोज़ होगी रोशन मेरी भी ज़िंदगी,
इंतज़ार सुबह का नहीं तेरे लौट आने का है।
मेरी इक उमर कट गई है तेरे इंतज़ार में,
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिनसे एक रात।
गजब किया तेरे वादे पर ऐतबार किया,
तमाम रात किया क़यामत का इंतज़ार किया।
ये जो पत्थर है आदमी था कभी,
इस को कहते हैं इंतज़ार मियां।
रात क्या होती है हमसे पूछिए,
आप तो सोये सवेरा हो गया।
हर आहट पर साँसें लेने लगता है,
इंतज़ार भी भला कभी मरता है।
बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
लौट के कब आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन,
उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर।
आँखें रहेंगीं शाम-ओ-सहर मुन्तज़िर तेरी,
आँखों को सौंप देंगे तेरा इंतज़ार हम।
दिल जलाओ या दिए आँखों के दरवाज़े पर,
वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले।
आधी से ज्यादा शबे-ग़म काट चुका हूँ,
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है।
न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद,
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था।
तमाम रात मेरे घर का एक दर खुला रहा,
मैं राह देखता रहा वो रस्ता बदल गया।
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