Sad Shayari in Hindi – हेल्लो दोस्तों ! दोस्तों, हम जब भी किसी से नाराज होते हैं, तो हमारे दिल में उसकी यादें बस जाती हैं। इसलिए वक्त-वक्त पर उससे बात करने की इच्छा हो सकती है, लेकिन हम यह नहीं करते। ऐसे समय में Sad Shayari हमारे लिए राहत का स्रोत बन सकती है। शायरी एक ऐसा दूसरा माध्यम है जो हमारी आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करने का सशक्त तरीका है। इसलिए आज हम एक खूबसूरत Sad Shayari in Hindi का संग्रह लेकर आए हैं जिसे आप Social Media (Facebook, Whatsapp, Instagram etc) पर शेयर कर सकते हैं।
Sad Shayari in Hindi
आखों में उम्मीद दी दिल मे थी आशा,
मुझे तुमसे मोहब्बत थी,
दिल टूटा तो हाथ लगी निराशा !
वो मुझसे बिछड़ा तो बिछड़ गई जिंदगी,
मैं जिंदा तो रहा मगर जिन्दों में न रहा !
काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो हमें यूँ रुसवा ना किया जाता,
बेरुखी भी उनकी मंजूर थी हमें,
एक बार बस हमें समझ लिया होता !
ये दिल एक बेवफा को चाहने लगा रहा,
तेरी जुदाई के गम में दर्द देने लगा था !
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते,
पर वो तारा नहीं टूटता जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ !
कुछ तो कमी है मुझ में,
शायद इस लिए तुझे भुला न सके,
जब भी देखता हूं चांद को रातों में,
याद आती है वो गुजरी हुई बातों में !
जरा-सी बात पर न छोड़ अपनों का दामन,
क्योंकि जिंदगी बीत जाती है,
अपनों को अपना बनाने में !
इश्क की हमारे बस इतनी सी कहानी है,
तुम बिछड गए हम बिखर गए
तुम मिले नहीं और,
हम किसी और के हुए नही !
कोई उस दुकान का पता बताओ यारों जहां लिखा हो,
टूटे दिलों का काम तसल्ली से किया जाता है !
माना कि तू नहीं है मेरे सामने,
पर तू मेरे दिल में बसता हैं,
मेरे हर दुख में मेरे साथ होता है,
और हर सुख में मेरे साथ हसता है !
वो जिनको देख कर आँखों में आसूं आ जाते हैं,
वहीं कुछ लोग जिन्दगी वीरान कर जाते है !
वो मुझसे बिछड़ कर अब तक नहीं रोया,
कोई तो हमदर्द है उसका,
जिसने मेरी याद तक ना आने दी !
प्यार का मतलब सिर्फ उन्हें,
पाना नहीं होता,
उनकी खुसी के लिए खुद को,
कुर्बान कर देना भी प्यार होता है !
उम्मीद जिनसे थी वही तनहा कर गए
आज के बाद किसी से नही कहेंगे की तू मेरा है !
गुनाह खुद कर बैठे वो,
मुझे गुनाहगार समझ के
रिश्ता तोड़ बैठे वो,
मुझे जिम्मेवार समझ के !
अच्छे होते हैं वो लोग जो आकर चले जाते हैं,
थोड़ा ठहर कर जाने वाले बहुत रुलाते हैं !
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी !
ऐ दिल तू क्यों रोता है,
ये दुनिया है यहाँ ऐसा ही होता है !
अधूरे चांद से फरियाद तो करता होगा,
वो मुझे ज्यादा नही पर याद तो करता होगा !
बड़ी अजीब होती हैं ये यादें,
कभी हंसा देती हैं कभी रुला देती हैं !
दिल ने सोचा था की टूट कर चाहेंगे उसे,
सच मनो टूटे भी बहुत और चाहा भी बहुत !
कभी खामोश रहने पर भी हो जाती थी,
हमारी फिक्र उनको,
आज आंसू बह जाने पर भी जिक्र नहीं होता !
तुमको बहार समझ कर,
जीना चाहता था उम्र भर,
भूल गया था की,
मौसम तो बदल जाते हैं !
अकेले रोना भी क्या खूब कारीगरी है,
सवाल भी खुद के होते है,
और जवाब भी खुद के !
कुछ बदल जाते हैं कुछ मजबूर हो जाते हैं,
बस यूं लोग एक दूसरे से दूर हो जाते हैं !
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक्त का सफर,
एक गहरी सी खामोशी है खुद के ही अंदर !
एक उम्मीद मिली थी तुम्हारे आने से
अब वो भी टूट गयी,
वफादारी की आदत थी हमे,
अब शायद वो भी छूट गई !
तेरे हर सवाल का जवाब सिर्फ यही है,
हां मैं गलत हूँ और तू सही है !
अजीब हैं मेरा अकेलापन
न तो खुश हूँ न ही उदास हूँ,
बस खाली हूँ और खामोश हूँ !
मुझे किस्मत से शिकवा तो नहीं लेकिन ऐ खुदा,
वो जिंदगी में क्यों आया जो किस्मत में नहीं था !
देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ,
हमपे नजर पड़ी तो वो महफिल से उठ गए !
सारी दुनिया को छोड़कर,
जिसको मैंने अपनाया उसी,
शख्स ने इस दिल को तड़पाया !
ऐ खुदा बना कर भेज दो एक फरिश्ता,
जो टूटे दिल को जोड़ दे आहिस्ता-आहिस्ता !
जिंदगी में कुछ हसीन पल यूंही गुजर जाते हैं
रह जाती हैं यादें और इंसान बिछड़ जाते हैं।
दिन हुआ है, तो रात भी होगी,
मत हो उदास उससे कभी बात भी होगी,
वो प्यार है ही इतना प्यारा,
जिंदगी रही तो मुलाकात भी होगी !
रहना चाहते थे साथ तुम्हारे,
पर इस जमाने ने रहने न दिया,
कभी वक्त की खामोशी में खामोश रहे,
तो कभी उनकी खामोशी ने,
कुछ कहना न दिया !
जो सबको संभालने की कोशिश करता है न,
उसको संभालना हर कोई भूल जाता है !
जिंदगी तो कट ही जाती है,
बस यही एक जिंदगी भर,
गम रहेगा की हम उसे ना पा सके !
किस्मत ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम,
बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने विश्वास तोड़ा तो किसी ने दिल,
और लोग कहते हैं की बदल गए हैं हम !
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर खत्म नहीं !
वो दर्द दे गए सितम भी दे गए
जख्म के साथ वो मरहम भी दे गए
ओ लफ्जो से कर गए अपना मन हल्का
हमे कभी न रोने की कसम दे गए !
उदास कर देती है हर रोज ये शाम मुझे,
लगता है कोई भूल रहा धीर-धीरे मुझे !
सूखे पत्तों की तरह बिखरे हैं हम तो,
किसी ने समेटा भी तो सिर्फ,
जलाने के लिए !
दुआ करो जो जिसे मोहब्बत करे वो उसे मिल जाये,
क्योंकि बहुत रुलाती है ये अधूरी मोहब्बत !
आज उसने हमसे बिछड़ने की चाहत की है,
हमने भी उनकी चाहत पूरी हो जाने की इबादत की है
दिल मे आरजू के दिये जलते रहेगे,
आँखों से मोती निकलते रहेगे,
तुम शमा बन कर दिल में रोशनी करो,
हम मोम की तरह पिघलते रहेंगे !
ऐ दिल तू क्यों रोता है,
ये दुनिया है यहाँ ऐसा ही होता है !
इश्क सभी को जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है,
इश्क नही किया तो करके देखो,
जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है !
हमें नही आती है साहब किसी और की बुराई
क्योकि हमें तो दुनिया वालो ने,
पहले से ही बदनाम किया हुआ है !
वजह तो पता नहीं लेकिन अब हर टाइम मन उदास,
दिल परेशान और दिमाग खराब रहता है !
तुम लाना दर्द, हम खुशी लायेंगे,
तुम्हारी हर वेवफाई को वफा से निभायेंगे !
ऐसे लोगों के सपने देखने का,
कोई मतलब ही नहीं जिन्हें तुम्हारे,
मैसेज तक पढ़ने की फुर्सत ना हो !
जिसे हम भगवान की दुआ समझते थे,
वो तो किसी पुराने जन्म का पाप निकला !
किसी ने धूल क्या झोंकी आखों में,
पहले से बेहतर दिखने लगा है !
जिसने जितना वक्त दिया था,
हमने सब संभाल के रखा है,
किसी दिन फुर्सत से अदा करूंगा !
संभलकर चलना हम भी जानते थे,
पर ठोकर भी लगी उसी पत्थर से,
जिसे हम अपना समझते थे !
रोती हुई आंखें कभी झूठ नहीं बोलती,
क्योंकि आसू तभी आते हैं,
जब कोई अपना दर्द देता है !
दिल तो हमारा वो आज भी बहला,
देते है फर्क सिर्फ इतना है पहले हँसा,
देते थे अब रुला देते है !
जाने कैसी नजर लगी जमाने की,
अब वजह मिलती नहीं मुस्कुराने की !
जिस नजाकत से लहरें पैरों को छूती हैं,
यकीन नही होता कि इन्होने,
कभी कश्तियाँ भी डुबाई होंगी !
जरा खुद ही सोचो क्या गुजरेगी उस दिन तुम पर,
जब तुम चाहोगी मुझे मेरी तरह,
और मै छोड़ दूंगा तुझे तेरी तर !
दर्द को दर्द अब होने लगा है,
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है,
अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा,
क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है !
टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गए
किसी को लग ना जाए
इसलिए सबसे दूर हो गए !
टूटे दिल को लेकर अब कहाँ जायेंगे,
यहीं रहेंगे गम से निभायेंगे !
खुश नसीब होते हैं बादल,
जो दूर रहकर भी जमीन पर बरसते हैं !
मोहब्बत है या नशा था जो भी था कमाल का था,
रूह तक उतारते उतारते जिस्म को खोखला कर गया।
तुम मुझे जितनी इज़्ज़त दे सकते थे दे दी,
अब तुम देखो मेरा सबर और मेरी ख़ामोशी।
कहाँ मिलता है अब कोई समझने वाला,
जोभी मिलता है समझा के चला जाता है।
किसी को कितना भी प्यार दे दो,
आखिर में उसे थोड़ा कम ही लगता है।
वक़्त से पहले हादसों से लड़ा हूँ,
मै अपनी उम्र से कई साल बड़ा हूँ।
खुदा ने किस्मत में साँसे लिखी थी,
इंसानो ने रोक दी।
हाँ याद आया इसके आखरी अलफ़ाज़ ये थे,
अगर जी सको तो जी लेना अगर मर जाओ तो अच्छा है।
मेरी वफा की कदर ना की अपनी पसन्द पे एतबार किया होता,
सुना है वो उनकी भी ना हुई मुझे छोड़ दिया था तो उसे अपना लिया होता।
ज़ख़्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत,
दर तो फिर दर्द है कम क्या ज्यादा क्या।
मुद्दतों बाद भी नहीं मिलते हम जैसे नायाब लोग,
तेरे हाथ क्या लग गए तुमने तो हमे आम समझ लिया।
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने,
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए।
मेरी हर शायरी दिल के दर्द को करता बयां,
तुम्हारी आँख न भर आये कही पढ़ते पढ़ते।
इन्हे अपना भी नहीं सकता मागत इतना क्या कम है,
कुछ मुद्दतें हसीं खवाबो मैं खो कर जी लिया हमने।
कबूल ऐ करते हे तेरे कदमो मे गिरकर,
सजाए मौत मनजूर है मगर अब मोहब्बत नही करनी।
चुप है किसी सबर से तो पत्थर ना समझ हमें,
दिल पे असर हुआ है तेरी बात बात का।
हमने कब कहा मोहब्बत नहीं मिली हुमको,
मोहबात तो मिली मगर तुम से ना मिली हुमको।
अपना बनाकर फिर कुछ दिन में बेगाना बना दिया,
भर गया दिल हमसे तो मजबूरी का बहाना बना दिया।
खामोशियाँ कर देते है बयां तो अलग बात है,
कुछ दर्द है जो लफ़्ज़ों में उतरे नहीं जाते।
बड़ी हसरत थी कोई हमे टूट कर चाहे,
लेकिन हम ही टूट गए किसी को चाहते चाहते।
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते,
पर वो तारा नहीं टूटता जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ।
अब तो आदत सी बन गयी है,
तुम दर्द दो हम मुस्कुरायेंगे।
वो जिनको देख कर आँखों में आसूं जाते है,
वहीं कुछ लोग ज़िन्दगी वीरान कर जाते है।
आज आख़िरी मुलाकात है तो हंस कर प्यार से देख ले मुझे,
अगली बार तुम हमें कफन में देखोगे और मुस्कुरा ना पाओगे।
डूबा है मेरा बदन मेरे ही खून से,
ये कांच के टुकड़ों पे भरोसे की सजा है।
बे ज़ुबाँ बादलो को अपनी दास्ताँ सुना रहा है कोई,
लगता है आसमानों को सुना रहा है कोई दर्द की दास्ताँ।
इश्क़ की नासमझी में हम अपना सबकुछ गवां बैठे,
उन्हें खिलौने की जरूरत थी और हम अपना दिल थमा बैठे।
सुनी थी हमने ग़ज़लों में जुदाई की बातें,
अब खुद पे बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ।
मैं चाहा था की जखम भर जाये,
ज़ख्म ही ज़ख्म भर गए मुझ मैं।
तू खुश है मेरे बिना ही तो शिकायत कैसी,
मैं तुझे खुश भी ना देखूं तो मोहब्बत कैसी।
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